नोट बंदी के बाद से लगातार बैंको पर बढ़ते दबाव के कारण शुक्रवार को बैंकों के संगठनो ने आरबीआई से बैंकों को आपूर्ति की जाने वाली राशि का विवरण सार्वजनिक करने की मांग की है। जहां एक तरफ बैंक को अपने ग्राहकों की असुविधा दूर करने के लिये दिन रात एक करने पड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बैंकों को कम धन राशि निर्गत करने का आरोप जनता से लगता रहा है।
इस बात को लेकर बैंकिंग क्षेत्र के दो प्रमुख यूनियनों ने वित्तमंत्री अरुण जेटली से गुजारिश की है कि वे भारतीय रिजर्व बैंक को सलाह दें कि वह विभिन्न बैंकों को की जा रही नोटों की आपूर्ति की जानकारी सार्वजनिक करे।
बैंकिंग के दो अग्रणी संगठन ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने वित्त मंत्री जेटली को एक संयुक्त पत्र लिखा। इस पत्र में संगठनों ने वित्त मंत्री को यह ध्यान दिलाया कि आरबीआई बार-बार कह रहा है कि बैंकों को नकदी की पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है, तो वह नकदी जा कहां रही है। सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए।
यूनियनों ने बात को स्पष्ट कहा कि आरबीआई के बयानों से लगता है कि वह बैकों को पर्याप्त नकदी दे रही है। लेकिन बैंक कर्मचारी जानबूझकर जनता को नोट नहीं देकर परेशान कर रहे हैं।
यूनियनों ने कहा, ‘आरबीआई को सार्वजनिक रूप से इसका खुलासा करना चाहिए। क्योंकि आरोप है कि चुने हुए बैंकों को अधिक नकदी दी जा रही है और सार्वजनिक बैंकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। इस आरोप का सही तरीके से जबाव दिया जाना चाहिए।’
गौरतलब है कि आठ नवम्बर को विमुद्रिकरण के अकस्मात लिये गये निर्णय में मौजूदा चलन की 500 और 1000 की नोटों को बंद कर दिया गया था। इस नोटबंदी को यूं तो एक महीना होने को है लेकिन बैंक और एटीएम में आज भी कतारें बरकार है। बावजूद इसके जन समस्याओं को दरकिनार करके सभी सरकारी तंत्र एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहें हैं।
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