प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल पटना शहर के लिए 738.04 करोड़ रुपये की लागत वाली चार सीवरेज परियोजनाओं और 195 कि.मी. लम्बी 3031 करोड़ लागत वाली चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। शिलान्यास समारोह मोकामा में आयोजित किया जाएगा। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, परिवहन और जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी भी शिलान्यास समारोह में उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर बेऊर और सैदपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तथा सीवर नेटवर्क तथा करमालीचक में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास होगा। इन चार परियोजनाओं से बेऊर, करमालीचक और सैदपुर सीवरेज क्षेत्रों (जोन) के लिए 120 एमएलडी की नई एसटीपी क्षमता सृजित होगी और 20 एमएलडी की वर्तमान क्षमता का उन्नयन होगा। इसके अंतर्गत बेऊर और सैदपुर क्षेत्रों में 234.84 किलोमीटर लम्बा सीवर नेटवर्क भी शामिल है।
पटना में सात अन्य सीवरेज परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं, जिनमें से दो परियोजनाओं को हाईब्रिड वार्षिकी आधारित पीपीपी मोड के तहत मंजूरी दी गई है। इनमें दीघा और कंकड़बाग सीवरेज क्षेत्र शामिल हैं, जिन पर 1402.89 करोड़ रुपये की लागत आएगी। पटना शहर की आबादी फिलहाल 16,83,000 है और वर्तमान में इस शहर में 220 एमएलडी सीवेज का सृजन होता है तथा वर्ष 2035 तक सीवेज का भार (लोड) बढ़कर 320 एमएलडी हो जाने का अनुमान है। मौजूदा सीवेज सृजन की तुलना में सीवेज शोधन की मौजूदा क्षमता केवल 109 एमएलडी ही है। इसके अलावा, मौजूदा एसटीपी की निर्धारित समयावधि भी पूरी हो चुकी है और इनमें फिलहाल बेहद कम क्षमता के साथ सीवेज का शोधन हो रहा है। शहर में 11 प्रमुख नाले भी हैं, जिनका गंदा पानी सीधे गंगा नदी में प्रवाहित होता है।
दीघा और कंकड़बाग जैसे क्षेत्रों में सीवेज के शोधन की कोई सुविधा नहीं है। अतरू मौजूदा सीवेज शोधन क्षमता और सीवर प्रणाली का तत्काल पुनर्गठन करने तथा इस सुविधा से वंचित क्षेत्रों में इसका विस्तारीकरण करने की जरूरत है। इसके अलावा, समुचित परिचालन और रख-रखाव भी अत्यंत आवश्यक है। शहर की वर्तमान सीवेज शोधन क्षमता और मौजूदा कचरा सृजन तथा वर्ष 2035 तक होने वाले भावी कचरा सृजन को ध्यान में रखते हुए छह क्षेत्रों (जोन) के लिए विश्व बैंक के वित्त पोषण के तहत कुल मिलाकर 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे 350 एमएलडी की एसटीपी क्षमता सृजित होगी और 1140.26 किलोमीटर लम्बा सीवरेज नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। इन पर 3582.41 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
इन 11 परियोजनाओं के पूरा हो जाने के बाद पटना एक ऐसे शहर में तब्दील हो जाएगा, जिसमें 100 प्रतिशत सीवरेज बुनियादी ढांचा होगा और कुछ भी मलजल (सीवेज) गंगा नदी में प्रवाहित नहीं होगा।
नदी मुहाना (रिवर फ्रंट) विकासध्घाट और शवदाहगृह (पटना आरएफडी सहित) से जुड़ी छह परियोजनाएं फिलहाल क्रियान्वित की जा रही हैं, जिन पर 337.58 करोड़ रुपये की लागत आएगी। 3.96 करोड़ रुपये की लागत वाली नदी तल सफाई परियोजना और 24.92 करोड़ रुपये की लागत वाली दो वनीकरण परियोजनाएं भी क्रियान्वित की जा रही हैं। नदी तल सफाई परियोजना के तहत एक कचरा झरनी (स्किमर) पटना में लगाई गई है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बिहार में 4929.17 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 29 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की ओर से कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के आंटा-सिमरिया खण्ड और बख्तियापुर-मोकामा खण्ड को 4 लेन में परिवर्तन करने के कार्य का शिलान्यास किया जाएगा। साथ ही, प्रधानमंत्री द्वारा 6 लेन वाले गंगा सेतु और राष्ट्रीय राजमार्ग-107 के महेशखूंट-सहरसा-पूर्णिया खण्ड पर और राष्ट्रीय राजमार्ग-82 पर बिहार शरीफ-बरबीघा-मोकामा खण्ड पर दो लेन के निर्माण कार्य का भी शिलान्यास किया जाएगा।
Source:PIB
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