रांची, 13 जनवरी (आईएएनएस)| खदान सुरक्षा महानिदेशक (डीजीएमएस) ने शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय में कहा कि लालमटिया कोयला खदान खनन गतिविधियों के लिए उपयुक्त नहीं है। गौरतलब है कि बीते साल दिसंबर में खदान धंसने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। डीजीएमएस ने अदालत को एक हलफनामे में कहा है कि दुर्घटना से तीन महीने पहले अधिकारियों के एक दल ने खदान का निरीक्षण किया था। उन्होंने पाया कि खदान में सुरक्षा के उपाय नियमानुसार नहीं अपनाए जा रहे हैं।
डीजीएमएस के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "खतरनाक तरीके से खुदाई कार्य चल रहा था और बुनियादी सुरक्षा नियमों का ख्याल नहीं रखा जा रहा था।"खदान में हुई दुर्घटना के बाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। अदालत के निर्देश पर डीजीएमएस ने हलफनामा दाखिल किया।गोड्डा जिले में ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड (ईसीएल) की राजमहल परियोजना में 30 दिसंबर को खदान घंसने की घटना हुई थी। इसमें अभी भी पांच लापता लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।बचाव कार्य को तकनीकी कारणों से रोक दिया गया। ईसीएल ने माना है कि कुछ व्यक्ति अभी में अंदर फंसे हो सकते हैं।गोड्डा जिले के प्रशासनिक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "यह दुर्घटना एक खुली खदान में एक भूस्खलन की तरह थी। करीब नौ लाख घनमीटर जमीन धंस गई। यह खुली खदानों में सबसे बड़ी दुर्घटना थी।"हालांकि अभी भी मामले में जिम्मेदारी तय की जानी बाकी है।पीड़ित परिवारों के लिए घोषित की गई मुआवजे की 12 लाख रुपये की राशि अभी तक वितरित नहीं की गई है।जिन पांच श्रमिकों के शव अभी बरामद किए जाने हैं, उनके परिवार के सदस्य भी उम्मीद खो चुके हैं।डीजीएमएस सूत्रों ने कहा कि ईसीएल अधिकारियों और आउटसोर्स कंपनी की तरफ से आपराधिक लापरवाही रही थी।इस घटना को कोयला मंत्रालय भी 'अप्रत्याशित' कह चुका है।--आईएएनएस
|
Comments: