नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| फिच रेटिंग ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारत की रेटिंग घटाकर 6.9 फीसदी कर दी है जो कि पहले 7.4 फीसदी थी, लेकिन नोटबंदी के फायदों पर जारी अनिश्चितता के कारण इसमें कटौती की गई है।
फिच रेटिंग ने मंगलवार को जारी अपनी नवीनतम द्विमासिक न्यूजलेटर में कहा, "नोटबंदी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक विघटन आई है, जिसके कारण हमें विकास दर का पूर्वानुमान घटाना पड़ा है।"इसमें आगे कहा गया, "हालांकि इस कदम से कुछ लाभ की संभावना है, लेकिन यह इतना सकारात्मक नहीं है कि सरकार के वित्तीय और मध्यम अवधि विकास दर में कोई बदलाव ला सके। नोटबंदी के असर जितने दिन तक जारी रहेगा, उतना ही इसका अर्थव्यवस्था पर असर होगा। इसलिए फिच ने 31 मार्च को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान पूर्व के 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है।"नोटबंदी से हालांकि सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है और बैंकों की कर्ज देने की शक्ति बढ़ी है। लेकिन फिच का कहना है, "नोटबंदी के कारण लोगों के पास नकदी की भारी कमी हो गई। दूसरी तरफ किसानों के पास भी खाद-बीज खरीदने के पैसे नहीं हैं। इससे समूची आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुए और लोगों के बैंकों की कतार में खड़े होने से उत्पादक कार्य का समय भी बरबाद हुआ।"फिच ने कहा कि हालांकि नोटबंदी के पीछे की मंशा सकारात्मक थी और व्यापक सुधार के प्रयासों को ध्यान में रखकर की गई थी। लेकिन इससे अनिश्चित दीर्घावधि लाभ की तुलना में कहीं ज्यादा अल्पकालिक नुकसान हुआ।--आईएएनएस
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