खटीमा (उत्तराखण्ड), 11 जनवरी (आईएएनएस)| धर्मनगरी वृन्दावन के अग्रणी धर्मगुरु एवं जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर व विचारक डॉ. स्वामी अवशेषानंद ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कवि-नाटककार कालिदास को 'स्वयं के लिए घातक मन्दबुद्धि व्यक्ति' बताने पर कड़ी निन्दा की है। डा. अवशेषानंदजी ने फोन पर आईएएनएस से कहा कि ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने के लिए कालिदास से उनकी तुलना कर महान कवि को नीचा दिखाने का निंदनीय प्रयास किया है।
ममता बनर्जी ने दो दिन पूर्व अपने एक बयान में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना, कालिदास के व्यक्तित्व के उस धूमिल-विस्मृत पक्ष से की थी, जिसके अनुसार उन्होंने अपने प्रारंम्भिक जीवन में उसी डाल को काट डाला था, जिस पर वे बैठे हुए थे।डॉ. स्वामी ने कहा कि पश्चिमी देशों के विद्धान आजतक कालिदास की विद्वता का लोहा मानते हैं। उनकी तुलना महानतम पश्चिमी नाटककार विलियम शैक्सपीयर से करते हुए कहा जाता है कि कालिदास भारत के शैक्सपीयर हैं। डॉ. स्वामी ने कहा कि यह तुलना उचित ही है, लेकिन इसके रूपक को उलट कर 'शैक्सपीयर इंग्लैंड के कालिदास हैं' कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि कालिदास, शैक्सपीयर से न केवल 2000 हजार साल पुराने है बल्कि नि:सन्देह उनसे महान भी हैं।स्वामी जी ने कहा कि कालिदास की कालजयी रचनाएं मेघदूत, अभिज्ञान शाकुन्तलम, रघुवंश तथा कुमारसम्भव आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं, जितनी 2500 वर्ष पूर्व रचनाकाल के दौरान थीं।डा. अवशेषानंद ने कहा कि नि:सन्देह कालिदास प्रारम्भिक जीवनकाल में मंदबुद्धि रहे थे, लेकिन उनकी यह असल पहचान नहीं हो सकती। उन्हें तो सदा उनकी कालजयी रचनाओं के लिए ही जाना जाएगा।धर्मगुरु ने कहा कि आदिकवि महर्षि वाल्मीकि प्रारंभिक जीवन में डाकू थे, लेकिन क्या उन्हंे आज इस रूप में याद किया जाता है? वास्तव में उनकी पहचान तो उनके अमर महाकाव्य 'रामायण' से ही है। यही बात कालिदास पर भी लागू होती है।85 वर्षीय वरिष्ठ शिक्षाविद् खटीमा निवासी पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी एल.डी.भट्ट ने कहा कि ममता बनर्जी ने भले ही कालिदास की तुलना प्रधानमंत्री मोदी से करके उनकी नकारात्मक छवि प्रस्तुत करने का प्रयास किया हो, किन्तु प्रकारान्तर से उन्होंने इस महान साहित्यकार की तुलना मोदी से करके प्रधानमंत्री की प्रंशसा ही की है। उन्होंने कहा कि क्योंकि कालिदास श्रेष्ठता के प्रतीक है, निष्कृष्टता के नहीं, प्रकाश के प्रतीक हैं, अंधकार के नहीं, विद्वता एवं प्रतिभा के प्रतीक हैं, मूर्खता के नहीं।--आईएएनएस
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