नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को आय कर अधिनियम के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसके तहत राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये तक के दानदाताओं की पहचान न बताने की छूट मिली हुई है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि राजनीतिक दलों को अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यो का प्रचार करने के लिए धनराशि की जरूरत होती है।
जनहित याचिका में आय कर अधिनियम-1961 की धारा-13 और जन प्रतिनिधि अधिनियम-1951 की धारा-29 को अवैध, असंवैधानिक, गलत मंशा वाला और राष्ट्रीय हित के खिलाफ बताते हुए खत्म किए जाने की मांग की गई थी।याचिकाकर्ता वकील एम. एल. शर्मा ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि यह साफ तौर पर अनुच्छेद-14 (कानून के समक्ष समानता) के उल्लंघन का मामला है, क्योंकि काले धन को बाहर लाने के मुद्दे पर यह सरकार द्वारा आम नागरिकों के साथ दोहरापन अपनाए जाने जैसा है।याचिका में कहा गया था, "जहां आम नागरिकों को सारे सवालों के उत्तर देने होते हैं, परेशानी झेलनी पड़ती है, तब भी जब उसकी अर्जित आय सही हो, लेकिन राजनेता ईश्वर प्रदत्त छूट का आनंद उठाते हैं।"--आईएएनएस
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