नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)| दिल्ली-एनसीआर के रिहाइशी रियल एस्टेट बाजार में 2010 के बाद से 85 फीसदी और कार्यालय के रियल एस्टेट कारोबार में 70 फीसदी की गिरावट आई है। यह बात नाइट फ्रैंक इंडिया की छमाही रिपोर्ट में कही गई है, जिसका छठा संस्करण मंगलवार को लांच किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में एनसीआर में 2015 की तुलना में मांग और आपूर्ति में क्रमश: 29 फीसदी और 73 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, 2016 में नये प्रोजेक्ट की लांचिंग घटकर महज 26,735 यूनिट रही, जोकि सालाना आधार पर साल 2015 से 58 फीसदी कम है। वहीं, बिक्री में सालाना आधार पर 2015 की तुलना में 18 फीसदी की कमी देखी गई और महज 40,000 इकाइयों की बिक्री हुई।रिपोर्ट में बताया गया है कि 8 नवंबर की गई नोटबंदी के बाद से सालाना आधार पर वित्तवर्ष 16 की चौथी तिमाही में नए लांच में 73 फीसदी और बिक्री में 53 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, एनसीआर क्षेत्र में परियोजनाओं में देरी के कारण कार्यालय की आपूर्ति में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखी जा रही है। वर्ष 2016 में कुल 46 लाख वर्गफुट की आपूर्ति हुई, जबकि 2015 में यह 1.15 करोड़ वर्गफुट थी। वहीं, कार्यालय की मांग बरकरार रही और 2016 में यह 73 लाख वर्गफुट थी।एनसीआर के कार्यालय बाजार में सबसे अधिक मांग उत्पादन और आईटी क्षेत्र की क्रमश: 36 फीसदी और 28 फीसदी रही। गुरुग्राम में कुल 38 लाख वर्गफुट के 83 फीसदी सौदे हुए जबकि 2016 की दूसरी तिमाही में कुल 107 सौदे हुए जो 57 फीसदी थे। यह क्षेत्र कारोबार के लिहाज से एक बार फिर सबसे पसंदीदा क्षेत्र के रूप में उभरा है।इस बारे में नाइट फ्रैंक इंडिया के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख (कैपिटल मार्केट्स) राजीव बैराठी ने बताया, "एनसीआर का रिहाइशी बाजार कई सालों से दबाव में है और साल 2016 भी कोई अलग नहीं था। साल 2010 से ही बाजार में मंदी छाई है और हर साल इस मंदी में बढ़ोतरी ही हो रही है। 2016 की दूसरी छमाही में साल 2015 की समान अवधि की तुलना में मांग और आपूर्ति गिरकर क्रमश: 29 फीसदी और 73 फीसदी रही।"उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 की पहली छमाही रियल एस्टेट नियामक विधेयक (आरईआरए) पारित होने से सुस्त चल रहे प्रॉपर्टी कारोबार को एक और झटका लगा, क्योंकि इसके कारण नए लांच रुक गए और डेवलपर पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने में जुट गए। हालांकि 2016 की तीसरी तिमाही में बाजार में थोड़ी सी रिकवरी देखने को मिली और परियोजनाओं को पूरा कर ग्राहकों को हस्तांतरण की शुरुआत हुई, कीमतों में कमी आई और नोएडा एक्सटेंशन और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे जैसे क्षेत्रों की अवसंरचना में सुधार देखने को मिली।बैराठी ने कहा कि पिछले साल नवंबर में हुई नोटबंदी के कारण रास्ते पर लौट रही रियल एस्टेट कारोबार एक बार फिर पटरी से उतर गई। जहां साल 2016 के पहले नौ महीनों में कारोबार में धीमी गति की वृद्धि नजर आ रही थी और साल के अंत तक इसके 2015 के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद जगी थी, लेकिन नोटबंदी के कारण इस क्षेत्र को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।"--आईएएनएस
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