टोक्यो, 10 जनवरी (आईएएनएस)| कंफर्ट वुमन मुद्दे पर टोक्यो और सियोल के बीच पनपे तनाव के बाद जापान ने मंगलवार को कहा कि अभी इस बात पर कोई फैसला नहीं लिया गया है कि वापस बुलाए गए अपने राजनयिकों को वह दक्षिण कोरिया कब भेजेगा। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, वापस बुलाए गए राजनयिकों की प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मुलाकात के तुरंत बाद यहां सरकार के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने उन्हें वापस भेजने के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं किया है।
उल्लेखनीय है कि बुसान में जापान के महावाणिज्य दूतावास के बाहर कंफर्ट वुमन को समर्पित एक विवादास्पद प्रतिमा स्थापित किए जाने के विरोध स्वरूप छह जनवरी को जापान ने सियोल से अपने राजदूत यासुमासा नागामिने और माहवाणिज्यदूत यासुहिरो मोरिमोतो को वापस बुला लिया है।प्रतिमा इस बात का प्रतीक है कि सन् 1930 से लेकर सन् 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने लगभग दो लाख महिलाओं, किशोरियों व लड़कियों को जबरन वैश्यावृत्ति के दलदल में धकेला, जिनमें से अधिकांश कोरियाई थीं।टोक्यो व सियोल के बीच द्विपक्षीय संबंध कंफर्ट वुमन के मुद्दे को लेकर लंबे वक्त से तनावग्रस्त हैं। साल 2015 में दोनों देशों के बीच एक समझौता भी हुआ था, जिसके मुताबिक दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट कम करने तथा पीड़ितों की गरिमा सम्मान को बरकरार रखने के लिए जापान को आधिकारिक तौर पर माफी मांगने के साथ ही 86 लाख डॉलर का मुआवजा देना होगा।सुगा ने कहा, "यह बेहद जरूरी है कि दोनों देशों की सरकारें 2015 में किए गए समझौते का विश्वासपूर्वक क्रियान्वयन करें।"उन्होंने कहा, "हम इस बात से अवगत हैं कि जापान तथा दक्षिण कोरिया बेहद महत्वपूर्ण मूल्यों को साझा करते हैं तथा जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के गंभीर मुद्दे पर समन्वयपूर्वक काम करने की जरूरत है।"--आईएएनएस
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