कोलकाता, 8 जनवरी (आईएएनएस)| दहेज उत्पीड़न विरोधी कानून के दुरुपयोग के शिकार लोगों के दुख-दर्द पर 'मारटायर्स आफ मैरेज' नाम के वृत्तचित्र की निर्माता का कहना है कि इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून में संशोधन होना चाहिए। उन्होंने ऐसे कानून की वकालत की जो पुरुषों और महिलाओं को समान संरक्षण देता हो।
स्वयंसेवी संस्था हृदया ने इस वृत्तचित्र की यहां स्क्रीनिंग की। इसे बनाने वाली दीपिका नारायण भारद्वाज ने आईएएनएस से कहा, "इसमें पुरुषों के पक्ष को रखा गया है। जब लैंगिक आधार पर हिंसा की बात आती है तो हम सोचते तक नहीं हैं कि पुरुष भी पीड़ित हो सकते हैं। यह पहली बार है जब तस्वीर के दूसरे पक्ष को रखा गया है।"दीपिका ने कहा कि वृत्तचित्र में भारतीय दंड संहिता की दहेज उत्पीड़न विरोधी धारा 498-ए के तहत झूठे मामलों में फंसाए गए लोगों की सच्ची कहानी का बयान है। यह उन पुरुषों की भी कहानी है जिन्हें उत्पीड़न की वजह से मौत को गले लगाने पर मजबूर होना पड़ा।चार साल में बने इस वृतचित्र में समाजिक कार्यकर्ताओं, महिलाओं व पुरुषों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले संगठनों, न्यायाधीशों, कानून बनाने वालों, पुलिस अफसरों आदि के नजरिए को पेश किया गया है।दीपिका ने कहा कि पुरुष भी लैंगिक हिंसा के शिकार होते हैं लेकिन भारत में कानून मुख्य रूप से महिलाओं के लिए हैं, पुरुषों के लिए नहीं।दीपिका ने कहा कि छह शहरों में इसकी स्क्रीनिंग की गई है और हर जगह इस विचार को जबरदस्त सराहना मिली कि कानून सभी के लिए समान होने चाहिए। न्यायपालिका से संबद्ध लोगों की बहुत ही बेहतर प्रतिक्रिया मिली।दीपिका ने बताया, "मेरी कोशिश इसे सांसदों को दिखाने की है, संसद में इसकी स्क्रीनिंग कराने की है ताकि वे जान सकें कि कैसे कानून का दुरुपयोग पूरे परिवार के लिए तकलीफ की वजह बन रहा है।"उन्होंने कहा कि प्रताड़ना के शिकार पुरुष 08882498498 नंबर पर मदद के लिए फोन कर सकते हैं।--आईएएनएस
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