केन्द्र सरकार के नोटबंदी फैसले के बाद बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। इसमें नोटबंदी के बाद से अब तक लोगों ने 500 और 1000 रूपये के पुराने नोटों को लगभग 12 लाख करोड़ रूपये जमा कराए है।
इसकी पुष्टि करते हुए आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि अब तक पुराने नोटों के 11.85 लाख रुपये जमा कराए गए हैं।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक समीक्षा नीति में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करते हुए प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखा है।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस. एस. मुंद्रा ने कहा कि नोटबंदी का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर पर असर महज 15 आधार अंकों का होगा और यह अस्थाई होगा।
शीर्ष बैंक ने हालांकि जीडीपी विकास दर का पूर्वानुमान 50 आधार अंकों तक घटा दिया है और इसे पूर्व में लगाए गए अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया।
बता दें कि बीते दिनों एक टीवी साक्षात्कार में एचडीएफसी के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी केकी मिठी ने उम्मीद जताई थी कि मौद्रिक नीति समिति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती होगी।
उन्होंने कहा था कि मैं कहना चाहूंगा कि 25 आधार अंकों की कटौती की तो गारंटी है। हालांकि हाल में घटी महंगाई को देखते हुए संभव है कि आरबीआई 50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है।
मिठी ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी फेड दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाएगा। अमेरिका ब्याज दरें बढ़ा रहा है और हम ब्याज दरें घटा रहे हैं और दोनों देशों के बीच का अंतर कम हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा था कि सिर्फ एक ही मुद्दा है कि आरबीआई को रुपये की कीमत स्थिर रखनी होगी। अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि से रुपये पर दबाव बढ़ सकता है।
साक्षात्कार मेें नोटबंदी के बाद बैंकों की वर्तमान स्थित से जुूडे़ एक सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि शुरू के दो-तीन हफ्तों में तेजी से पैसे जमा हुए हैं। अंतिम आंकड़ों के लिए हमें 31 दिसंबर तक इंतजार करना चाहिए।
स्रोत- आईएएनएस
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