नोटबंदी फैसले के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। इसमें प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। यह 6.25 फीसदी पर बरकरार रहेगी।
इससे पहले मौद्रिक नीति समिति की सिफारिशों के मुताबिक अक्टूबर में आरबीआई ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी, जोकि फिलहाल 6.25 फीसदी ही थी।
गौरतलब है कि बीते दिनों एक टीवी साक्षात्कार में एचडीएफसी के उपाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी केकी मिठी ने उम्मीद जताई थी कि मौद्रिक नीति समिति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती होगी।
उन्होंने कहा था कि मैं कहना चाहूंगा कि 25 आधार अंकों की कटौती की तो गारंटी है। हालांकि हाल में घटी महंगाई को देखते हुए संभव है कि आरबीआई 50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है।
मिठी ने उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी फेड दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाएगा। अमेरिका ब्याज दरें बढ़ा रहा है और हम ब्याज दरें घटा रहे हैं और दोनों देशों के बीच का अंतर कम हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा था कि सिर्फ एक ही मुद्दा है कि आरबीआई को रुपये की कीमत स्थिर रखनी होगी। अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि से रुपये पर दबाव बढ़ सकता है।
साक्षात्कार मेें नोटबंदी के बाद बैंकों की वर्तमान स्थित से जुूडे़ एक सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि शुरू के दो-तीन हफ्तों में तेजी से पैसे जमा हुए हैं। अंतिम आंकड़ों के लिए हमें 31 दिसंबर तक इंतजार करना चाहिए।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रधानमंत्री के नोटबंदी फैसले के बाद पहली बार अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश किया है।
केन्द्र सरकार के नोटबंदी फैसले के बाद बैंकों में काफी नगदी जमा होना बताया गया था। नोटबंदी के बाद यह आरबीआई की पहली मौद्रिक समीक्षा है, जोकि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सिफारिशों के आधार पर की गई है, जिसका गठन इस साल के शुरू में किया गया था।
स्रोत- आईएएनएस
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