जबलपुर, 30 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा नदी के प्रदूषण को रोकने और जल प्रवाह को बरकरार रखने के लिए जनजागृति लाने के मकसद से 'नमामि देवि नर्मदे' सेवा यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा के दौरान आयोजित हो रही संगोष्ठियों व जन-संवादों में हिस्सा लेने वाले लोग नर्मदा नदी के कम होते प्रवाह पर चिंता जता रहे हैं। ज्ञात हो कि अमरकंटक से नर्मदा सेवा यात्रा शुरू की गई है। इस यात्रा के दौरान जबलपुर जिले के विकास खंड जबलपुर और विकास खंड शहपुरा के ग्राम सिवनीटोला, नान्हाखेड़ा, लंहेटी पड़ावों पर जन-संवाद और सामाजिक मुद्दों पर हुई संगोष्ठियों में विचार मंथन किया गया।
जन-संवाद व संगोष्ठियों में लोगों ने राय जाहिर की और कहा, "नर्मदा और वन का आपसी संबंध बहुत गहरा है। मैकल पर्वत के बांस के वृक्षों से रिसने वाले जल से नर्मदा का अवतरण हुआ है। वर्षा जल नर्मदा के तटों के वृक्षों में संचित रहता है और रिस-रिस कर नर्मदा को सदानीरा बनाए रखता है। इस लिहाज से नर्मदा और वन का आपसी संबंध बहुत गहरा है। हम सब को यह जानना होगा कि नर्मदा है तो मानव जीवन है और वन है, तो नर्मदा का अस्तित्व है।"जन-संवादों में लोगों ने कहा कि जंगल निरंतर कट रहे हैं। प्राणियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साथ ही नर्मदा जल का दोहन भी बढ़ रहा है। नर्मदा का जल बहाव भी कम हो रहा है। नर्मदा है तो अन्न, धन, प्रकाश, जीवन और जीवन का आनंद है। मानव का अस्तित्व सुरक्षित रखने के लिए नर्मदा के इस वैभव को बनाए रखना होगा।--आईएएनएस
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