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नोटबंदी की मार से जूझ रहे छत्तीसगढ़ के किसान : खुटिया

, Thu, 29 Dec 2016 IANS

कांग्रेस भवन में गुरुवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में खुटिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश धान उत्पादन के मामले में देश का अग्रणी राज्य है, लेकिन नोटबंदी के बाद यहां के किसानों के सामने विकट परिस्थिति खड़ी हो गई है। यहां धान खरीदी में जिन किसानों ने मंडियों में धान बेचा है अब वे पैसों के लिए तरस रहे हैं।

डॉ.खुटिया ने कहा कि सरकार ने धान खरीदी के लिए 6 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा था परंतु 1300 करोड़ ही दिया गया। लेकिन यह रकम भी किसानों को नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि बिगड़े हालात से जूझ रहे किसान कोचियों के माध्यम से धान औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर है।

उन्होंने कहा कि यहां मनरेगा में मजदूरों को 47 दिन काम मिला। लेकिन पिछले वर्ष का आंकड़ा देखें तो 300 करोड़ का भुगतान अभी तक नहीं मिला है। आज छत्तीसगढ़ में मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं, इसी तरह उन्होंने ओडिशा राज्य के मजदूरों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी नोटबंदी की मार से त्रस्त मजदूर पलायन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के असर से यहां आंकड़ों के अनुसार 20 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। संस्थानों में छंटनी प्रारंभ हो गई है और मजदूरों-कामगारों को नौकरी से निकाला जा रहा है। उन्होंने प्रदेश के आदिवासी अंचल में बैंक सुविधा नहीं होने का सवाल उठाते हुए कहा कि स्थानीय रहवासियों को लंबी दूरी तय कर बैंक तक जाना पड़ता है, लंबी कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है, इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

खुटिया ने कहा कि कालाधन की लड़ाई में कांग्रेस सरकार के साथ है, कांग्रेस ने अपना समर्थन भी दिया। उन्होंने कहा कि आज नोटबंदी के निर्णय के 49 दिन बीत जाने के बाद भी केन्द्र सरकार देश में उत्पन्न हालात से निपटने में विफल हो गई है। सरकार ने कहा है कि बैंक खातों में ढाई लाख रुपये से अधिक जमा करने व निकालने वालों पर इनकमटैक्स डिपार्टमेंट जांच करेगा, लेकिन देश भर में केवल 4500 इनकमटैक्स ऑफिसर हैं और तो और 13 लाख करोड़ के इनकमटैक्स मामले डिस्प्रूव पेडिंग है, ऐसे में केन्द्र सरकार ढाई लाख से अधिक राशि जमा और निकालने वालों की जांच कैसे करवायेगी। कुल मिलाकर जनता परेशान हो रही है।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन की बात सरकार कर रही है। जहां विकसित देशों में भी कैशलेस ट्रांजेक्शन का आंकड़ा 50 प्रतिशत तक ही सीमित है तो पूर्णत: कैशलेस होना कहां तक सही हो सकेगा जबकि देश में नोटबंदी के बाद हालात ऐसे बने कि नए नोटों की छपाई पर्याप्त मात्रा में नहीं हो सकी, बैकों में लंबी कतारे लगी रही। नोट बदलवाने लाइन में लगी जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

-- आईएएनएस


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