पटना/गया, 28 दिसंबर (आईएएनएस)| बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने पटना में बुधवार को कहा कि भगवान बुद्ध ने अहिंसा, महाकरुणा का संदेश दिया था। दो हजार साल बाद भी यह संदेश जीवंत है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ प्रार्थना बल्कि दिमाग का प्रशिक्षण भी आवश्यक है। बौद्ध संप्रदाय के पवित्र स्थल बोधगया में प्रस्तावित 34वें कालचक्र पूजा में भाग लेने बिहार पहुंचे दलाई लामा ने पटना के बौद्ध स्मृति पार्क के पाटलिपुत्र करुणा स्तूप में जाकर पूजा-अर्चना की। बौद्ध भिक्षुओं ने इस अवसर पर सूत्रपाठ कर विश्व शांति, आपसी भाईचारा, प्रेम, सद्भाव के रिश्तों को मजबूत करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
इसके बाद दलाई लामा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुद्ध स्मृति पार्क में भगवान बुद्ध की भूमि स्पर्श मुद्रा की विशाल प्रतिमा के समक्ष पूजा की व पवित्र आनंद बोधिवृक्ष का रोपण किया।दलाई लामा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, "बौद्ध भिक्षु के रूप में बोधगया आना मेरे लिए गर्व की बात है। भगवान बुद्ध का एक अनुयायी होने पर मुझे गर्व है।"उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से मिलकर काफी अच्छा लगा। बहुत सालों से हम अच्छे एवं नजदीकी मित्र हैं।दलाई लामा ने आगे कहा, "अलग- अलग देशों में रहने वाले बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच आपसी प्रेम का रिश्ता रहना चाहिए। भारत एक गुरु के समान है। हमारा सारा ज्ञान भारत से आता है। हम उसके शिष्य हैं। भारत से संबंध गुरु-शिष्य के समान है।"उन्होंने भारत के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने इतिहास एवं दर्शन से सीखें। उन्होंने कहा कि आज वैज्ञानिक भी भारत के प्राचीन ज्ञान एवं दर्शन से सीख ले रहे हैं।इससे पहले पटना पहुंचने पर धर्म गुरु का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वागत किया। यहां से वे बोधगया के लिए रवाना हो गए।कालचक्र पूजा की अगुवाई करने के लिए बोधगया पहुंचने पर तिब्बतियों के आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाईलामा का जोरदार स्वागत किया गया। धर्मगुरु के आगमन को लेकर बोधगया को सजाया संवारा गया है।उनके प्रवास स्थल तिब्बती मंदिर और महाबोधि मंदिर को रंगीन बल्बों और पंचशील पताखों से आकर्षक ढंग से सजाया गया। पूजा-स्थल कालचक्र मैदान में पंडाल बनकर तैयार हो चुका है। उनके आगमन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दलाई लामा के प्रवास स्थल को सुरक्षा कर्मियों ने अपने घेरे में ले लिया है।दलाई लामा दो जनवरी को बोधगया में 34वें कालचक्र पूजा का शुभारंभ करेंगे। पूजा में भाग लेने के लिए दो लाख श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने की उम्मीद है। कालचक्र पूजा में चत्ति यानी आत्मा को बुद्ध प्राप्ति के लायक शुद्घ और सशक्त बनाने जैसा आध्यात्मिक अभ्यास कराया जाता है। 14 जनवरी को पूजा समाप्त होगी।--आईएएनएस
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