आगामी बजट में सरकार की शेयरों से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (लांग टर्म कैपिटल गेन) पर कर लगाने के मुद्दे पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। उन्होने प्रधानमंत्री के पहले दिए गए भाषण को लेकर मीडिया में आई खबरों को गलत ठहराया। जेटली ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मीडिया के कुछ वर्ग द्वारा भाषण को गलत अर्थों में समझा गया, जिसमें इसकी अटकलें लगाई गई हैं कि यह अप्रत्यक्ष रूप से इस तथ्य के संदर्भ में है कि प्रतिभूतियों के लेन-देन से जुड़े दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर लग सकता है।
उन्होंने कहा, "इसको इस रूप में समझना पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस तरह का कोई भाषण नहीं दिया है। मैं उस कार्यक्रम में मौजूद था जिसमें यह भाषण दिया गया था।" उन्होंने कहा, "मैं यह पूरी तरह से स्पष्ट करना चाहूंगा कि किसी के लिए भी ऐसा कोई अवसर या मौका नहीं हो सकता कि इस तरह के निष्कर्ष पर पहुंचे जैसा कि मीडिया के कुछ वर्ग में खबर दी गई है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा वह यह नहीं था और न ही सरकार ने इस तरह का कोई इरादा है।"
मुंबई में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्युरिटीज मार्केट्स परिसर के उद्घाटन के अवसर पर कहा था, करों में योगदान कम होने का कारण हमारे कर कानून की वजह से भी हो सकता है। कुछ तरह के वित्तीय लाभ में कम या शून्य कर दर दिया जाता है।
किसी खास टैक्स का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने कहा था, "जिन लोगों को वित्तीय बाजार से लाभ होता है उन्हें निश्चित रूप से करों के जरिए राष्ट्र निर्माण में ईमानदारी से योगदान करना चाहिए। विभिन्न कारणों से जो लोग बाजार से पैसा कमाते हैं, उनका करों में योगदान कम है।" मौजूदा मानदंडों के अनुसार, कोई भी एक साल से अधिक समय तक कोई भी स्टॉक रखकर बेचा जाता है तो उस पर मिलने वाले पूंजीगत लाभ पर कर में छूट है।
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