उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार ने 17 जातियों को उसी तरह बेवकूफ बनाने का कदम उठाया है, जैसा मुलायम सिंह यादव ने 10 अक्टूबर, 2005 में किया था। 4-5 वर्षो तक अतिपिछड़ों को हर स्तर पर उपेक्षित व वंचित करने के बाद सपा सरकार को चुनावी लाभ के लिए अतिपिछड़ों की चिंता हुई है, जिसे अतिपिछड़े भलीभांति जानते हैं और सपा के बहकावे में नहीं आएंगे।
निषाद ने कहा, "चुनाव की रणभेजी बजने से कुछ दिनों पूर्व ही समाजवादी सरकार (सपा) द्वारा मझवार, तुरैहा, गोड़, पासी, शिल्पकार जाति को परिभाषित कर 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव भेजने व अनुसूचित जाति का लाभ देने का जो निर्णय लिया है, वह चुनावी लाभ लेने के ²ष्टिकोण से निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद, धीवर, धीमर, कहार, तुरहा, रायकवार, धुरिया, भर, राजभर, कुम्हार, मांझी, मछुआ आदि को भ्रमित कर वोट हथियाने का राजनीतिक षड्यंत्र है।"उन्होंने बताया, "सपा सरकार के निर्णय को चुनावी लाभ के लिए अंतिम समय में लिया गया असंवैधानिक निर्णय करार दिया। अनुसूचित जाति में किसी जाति को शामिल करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-341 में संशोधन की संवैधानिक व्यवस्था है, जिसे नकारते हुए सपा सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए षड्यंत्रकारी कदम उठाया है। अनुच्छेद-341 में संशोधन का अधिकार केंद्र सरकार को है न कि राज्य सरकार को।"--आईएएनएस
|
Comments: