नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)| गुलाबी ठंड के बीच दिल्लीवासियों को हजरत अमीर खुसरो की शख्सियत, इंसानियत और रूहानी मोहब्बत भरे गीत-संगीत से परिपूर्ण सूफी संध्या का हिस्सा बनने का मौका मिला। खचाखच भरे सभागार में दर्शकों ने शानदार सूफीयाना कलाम व संगीत का लुत्फ उठाया। दिल्ली के सांस्कृतिक हब इंडिया हैबीटेट सेंटर में एक अद्वितीय संगीत कार्यक्रम 'रंग-ए-खुसरो' का आयोजन किया गया। गैर सरकारी संगठन साक्षी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत जाने-माने शायर लक्ष्मी शंकर बाजपेयी की शायरी से हुई। शायरी के इस सफर को जाने-माने मीडियाकर्मी राणा यशवंत ने आगे बढ़ाया।
उनके बाद सितार वादक सुदीप राय के सितार वादन ने उपस्थित मेहमानों व अन्य को गदगद किया। कार्यक्रम का अगला चरण उस्ताद शकील अहमद के नाम रहा। उनके गायन को साथी कलाकारों की संगत ने बखूबी गुंजायमान करते हुए दिल्लीवासियों को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम की शुरुआत से अंत तक महफिल में उपस्थित दिल्लीवासी वाह! उस्ताद करते नजर आए।सुदीप राय की सितार से निकले सुर-लय-ताल का तालमेल खूबसूरत था जिसने दर्शकों को खासा प्रभावित किया। शकील अहमद ने अपनी मनोरम पेशकश से हजरत अमीर खुसरो की भाषाओं पर आसानी और महारत का प्रदर्शन किया। शकील अहमद ने श्रोताओं को खुसरो की सार्वभौमिक भावनाओं, मानवता और प्रेम की दुनिया से रूबरू कराते हुए जमकर वाह-वाही लूटी।कार्यक्रम की आयोजक मृदुला टंडन (अध्यक्ष, साक्षी व जश्न-ए-तहजीब) ने बताया कि हजरत अमीर खुसरो 12वीं, 13वीं सदी की एक बड़ी श़िख्सयत थे, जिनमें कई श़िख्सयतें विद्यमान थीं। वो अहद साज शायर भी थे, मौसिकी के माहिर व सहिबे तलवार भी थे। उनका जीवन हमारे 'गंगा-जमुनी तहजीब' का एक अद्भुत उदाहरण है।--आईएएनएस
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