हिन्दी सिनेमा जगत की फिल्मों में अश्लील गानों को लेकर कवि और गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि फिल्मों का लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अभद्र संगीत से पूरा देश प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि आप इसके लिए लेखक को दोष नहीं दे सकते। समस्या संगीत की रचना करने वालों की नहीं है। समस्या दर्शको की है जो इसके बाद भी ऐसे संगीत पंसद करते है इतना ही नही बल्कि उसको सफल भी बनाते है।
उन्होंने कहा कि गीत स्थितियों पर लिखे जाते हैं। कहानियों और संगीत में बदलाव आया है। हमारी भाषा खराब हो गई है।
उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी कविता, भाषा, साहित्य, लोक गीत और परंपरा को पहचानने से मना करती है। कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की हिंदी और उर्दू अच्छी है तो यह खराब परवरिश के कारण है।
उन्होंने कहा कि यह समझ आता है कि 21वीं सदी में अंग्रेजी जरूरी है, लेकिन हमें अपने बच्चों को बहुभाषी बनाना चाहिए। ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो।
बता दें कि जानेमाने गीतकार जावेद अख्तर का मानना है कि बच्चों के साथ काफी त्याग, बलिदान और समय देने चाहिए। इसके साथ ही उनका मानना है कि बच्चों को दुनिया में लाना तकदीर और किस्मत का खेल हैं।
स्रोत-- आईएएनएस
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