नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| स्टार्टअप विलेज के डिजिटल संस्करण और छात्रों के लिए दुनिया के पहले ऑनलाइन इनक्यूबेटर एसवी.सीओ ने अपना पहला बैच शुरू कर दिया है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धी चयन प्रक्रिया के आधार पर इस बैच के लिए 32 टीमों को चुना गया है। ये टीमें छह माह के सिलिकॉन वैली कार्यकम को पूरा करेंगी। 'डिजिटल' बैच में 135 छात्र विश्व स्तर के इंजीनियर बनने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
इस बैच में प्रवेश के लिए चार माह तक प्रवेश अभियान चलाया गया और इस कार्यक्रम के लिए 24 राज्यों तथा 226 विश्वविद्यालयों से 2,326 टीमों में 10 हजार से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया।32 टीमें अब छह महीने के ऑनलाइन पाठ्यक्रम को पूरा करेंगी। इस दौरान वे एक आईडिया का चुनाव करके एक प्रोटोटाइप बनाएंगी और इस साल जून में सिलिकॉन वैली स्थित फेसबुक मुख्यालय में इस प्रोटोटाइप को प्रस्तुत करेंगी।इस सिलिकॉन वैली कार्यक्रम के लिए चयन प्रक्रिया कितनी कड़ी थी इसका पता इस बात से चलता है कि आवेदन करने वाली टीमों में से केवल एक प्रतिशत टीमें अंतिम चयन प्रक्रिया तक पहुंच पाई। केरल से सबसे अधिक टीमें (22) है जबकि इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली की टीमें हैं।कोच्चि (केरल) स्थित स्टार्टअप विलेज ने अपने फिजिकल फार्म में भारत के नंबर 1 स्टार्टअप इनक्यूबेटर का दर्जा प्राप्त करने के बाद जून 2016 में अपनी डिजिटल यात्रा शुरू की थी। कई राज्यों से स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की मांग के कारण ही इसे डिजिटल मॉडल पर प्रयोग करने के लिए प्रेरणा मिली।स्टार्टअप विलेज के अध्यक्ष संजय विजयकुमार ने कहा, "दुनिया के मंच पर प्रदर्शन करने के लिए हमारे युवाओं की क्षमता का परीक्षण करने के लिए भारत का सबसे बड़ा प्रयोग शुरू कर दिया गया है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो कॉलेज परिसरों में उद्यमिता के प्रति युवाओं की संस्कृति में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिलेगा क्योंकि इस 'डिजिटल' बैच में 135 छात्र विश्व स्तर के इंजीनियर बनने के लिए प्रयास कर रहे हैं।"उन्होंने कहा, "डिजिटल मंच के माध्यम से स्टार्टअप का निर्माण करने की काफी संभावना है।"फ्रेशडेस्क के सह- संस्थापक गिरीश मथरूबूथम ने कहा, "आज आपके जीवन में बड़ा परिवर्तन शुरू होता है। एक बार जब आप स्टार्टअप का निर्माण करने के लिए अपना रास्ता शुरू कर देंगे, तो आप जीवन में कभी भी औसत दर्जे के काम को स्वीकार नहीं करेंगे और हमेशा उत्कृश्ट करने के लिए तत्पर होंगे।"भारत में छात्र उद्यमिता को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के द्वारा हाल ही में शुरू किये गये राष्ट्रीय छात्र स्टार्टअप पॉलिसी से काफी बढ़ावा मिला है जो छात्रों को कॉलेजों मंे ही स्टार्टअप निर्माण करने की अनुमति देता है। गुजरात तकनीकी विश्वविद्यालय और केरल तकनीकी विश्वविद्यालय जैसे कई विश्वविद्यालयों ने छात्रों के लिए उद्यमिता कार्यक्रम में माइनर्स को भी लांच किया है जो अपने अंतिम वर्ष की परियोजना को कैंम्पस स्टार्टअप्स में तब्दील करना चाहते हैं।-- आईएएनएस
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