नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)| हाउसिंस सोसाइटीज के लिए डीजल जेनरेटर सेट को बदल कर उसकी जगह छतों पर सौर ऊर्जा प्रणाली को लगाने की सिफारिश करते हुए विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने पाया कि स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प वित्तीय रूप से भी कहीं अधिक आकर्षक है। इस अध्ययन में कहा गया कि डीजल जेनरेटर सेट से बिजली उत्पादन की लागत और पूंजीगत लागत को मिलाकर यह 27 रुपये से 33 रुपये प्रति यूनिट तक होती है, जबकि छत पर सौर प्रणाली लगाकर महज 10 रुपये यूनिट में ही बिजली उत्पादन की जा सकती है।
सीएसई के उपमहानिदेशक चंद्र भूषण ने कहा, "सीएसई ने जितनी भी सोसाइटियों का अध्ययन किया, उसमें पाया गया कि सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की लागत डीजल जेनरेटर की तुलना में आधी होती है।"अध्ययन के मुताबिक, अगले पांच से सात सालों में 3 गीगावॉट का सौर छत नई रहायशी सोसाइटी में स्थापित की जा सकती है।इस अध्ययन में ध्यान दिलाया गया कि अब शहरों में डीजल जेनरेटर सेट बेमानी हो गए हैं, क्योंकि बहुत कम बिजली जाती है।इसमें कहा गया कि बिजली आपूर्ति में जितना ज्यादा सुधार होता जा रहा है, जेनरेटर से बिजली उत्पादन करना उतना ही ज्यादा महंगा होता है।सीएसई के कार्यक्रम निदेशक (ऊर्जा) प्रियवत्त भाटी का कहना है, "औसतन कई शहरों में अब घंटे भर से भी कम बिजली जाती है। हमें पता होना चाहिए बिजली का पूर्ण बैकअप संपन्न सोसाइटियों की बुनियादी जरूरत माना जाता था, जब दिन में कई-कई घंटे बिजली की कटौती होती थी।"सीएसई ने डीजल जेनरेटर पर पूर्ण रोक लगाने और सौर ऊर्जा उपकरण लगाना जरूरी बनाने की सिफारिश की है।--आईएएनएस
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