नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)| कंज्यूमर वॉयस ने बीते दिनों राजधानी में सड़क सुरक्षा संबंधी 'साइकलोथॉन' का आयोजन किया। दिल्ली के परिवहन एवं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने झंडी दिखा कर साइकिल रैली को रवाना किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा संबंधी जनता के कर्तव्यों, कानून व अधिकारों का प्रचार करना रहा। एक तरफ जहां पैरालंपिक साइकलिस्ट जगविंदर सिंह ने भी अपनी प्रमुख उपस्थिति दायर कर सड़क सुरक्षा के मुद्दे को मजबूती से उठाया वहीं इसमें 100 से अधिक साइकिल चालकों ने कंज्यूमर वॉयस की इस मुहिम से जुड़कर अपना सहयोग दिया।
'बाल सुरक्षा व सड़क सुरक्षा- प्रत्येक जिंदगी अनमोल' की तर्ज पर आधारित इस रैली में युवा साइकिल चालकों का जोश देखते ही बन रहा था। सवेरे रिमझिम बारिश व घने बादलों के कारण पड़ी कड़ाके की ठंड में भी युवाओं में साइकलोथॉन को लेकर जोश बरकरार रहा।इस दौरान अभय दामले, आईआरएस, संयुक्त सचिव, परिवहन, मोर्थ सहित ट्रैफिक पुलिस दिल्ली के अधिकारियों ने भी कार्यक्रम में मुख्य रूप से शिरकत की।आयोजन कि सराहना करते हुए सत्येंद्र जैन ने मजबूत सड़क सुरक्षा बिल की जरूरत पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई सड़क दुर्घटनाओं में मदद करने वाले मददगारों को 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि व सार्वजनिक मंच पर सम्मानित करने की पहल को भी साझा किया।उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सड़कों में साइकिल ट्रैक होने चाहिए, जबकि परालंपिक साइकलिस्ट जगविंदर ने सड़क सुरक्षा के मुद्दे को साइकलोथॉन जैसे प्रभावी आयोजनों के माध्यम से लगातार उजागर करने की बात कही।कंज्यूमर वॉयस के सीओओ आशिम सान्याल ने सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की अकाल मृत्यु पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि सड़क सुरक्षा कानून को मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि आए दिन सड़क हादसों में हो रही अनचाही मौतों से निजात मिल सके। गौरतलब हो कि कंज्यूमर वॉयस ने 'साइकलिंग फॉर एंवायरमेंट क्लब' के सहयोग से साइकलोथॉन का सफल आयोजन किया।कंज्यूमर वॉयस की हमेशा ही ये कोशिश रही है कि सड़क सुरक्षा के प्रति ग्राहकों को जागरूक किया जा सके, साथ ही उन्हें सड़क सुरक्षा संबंधी नियम, कानून, अधिकार व जिम्मेदारियों के प्रति चेताया जा सके। इसके लिए साइकलोथॉन जैसे शैक्षिक आयोजन मददगार साबित होते हैं।दरअसल, संयुक्त राष्ट्र बाल सम्मेलन 1989 के अधिकारों के अनुसार, बच्चों को सड़क घटनाओं के विरुद्ध संरक्षण दिया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की माने तो वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 14 साल की उम्र तक के 20 बच्चों ने हर दिन सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई जबकि प्रति सप्ताह के हिसाब से तीन से 15 साल तक के 60 बच्चे सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।साल 2014 में भी 16,901 बच्चों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई। भारत में, साल 2013 में मोटर वाहनों से बच्चों की मौत का कुल प्रतिशत 6.1 रहा।--आईएएनएस
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