नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)| धूप से आंखों को सुरक्षित रखने का हवाला देते हुए चश्मों की सुंदर जोड़ी को खरीदने का ऑफर मिलना या इससे जुड़े ऐसे कई मिथक हैं जो आपको सनग्लास यानी धूप का चश्मा खरीदने से रोक देते हैं। माई जिम इंडिया के प्रबंध निदेशक आई रहमतुल्लाह ने धूप के चश्मे से जुड़े इन मिथकों के बारे में बताया है :
-धूप के चश्मे के साथ जुड़ा आम मिथक यह है कि इन्हें सिर्फ फैशनेबल नजर आने के लिए पहना जाता है। ये महज फैशन का सामान नहीं होते हैं। सन ग्लास आपको स्मार्ट लुक देने के साथ ही सूरज की हानिकारक किरणों से भी आपकी आंखों को सुरक्षित रखते हैं।-जो लोग सही से दिखाई देने के लिए चश्मा पहनते हैं, वे सोचते हैं कि सन ग्लास उनके चश्मे के नंबर में उपलब्ध नहीं होता है और यह सिर्फ धूप का चश्मा है, इसलिए ठीक से दिखाई नहीं देगा, यह गलत धारणा है। आजकल बाजार में नंबर के अनुसार, ऐसे धूप के चश्मे उपलब्ध है, जिससे आपको सही से दिखाई देगा और आपकी आखों की धूप से भी रक्षा होगी।- धूप के चश्मों के लेकर यह भी मिथक है कि सारे धूप के चश्मे पराबैंगनी किरणों से रक्षा करते हैं। हालांकि, चश्मे का ग्लास और पॉलीकार्बोनेट पराबैंगनी किरणों की कुछ मात्रा को अवशोषित कर लेते हैं, लेकिन पूरी तरह से सुरक्षा पाने के लिए लेंस पर कोटिंग करवाना जरूरी हैं।धूप का चश्मा ऐसा खरीदें जो सामने और पीछे दोनों ओर से पराबैंगनी किरणों को 90-100 प्रतिशत तक ब्लॉक कर दे।- कई लोग यह सोचकर धूप का चश्मा पहनते हैं कि इसे नहीं पहनने की बजाय इसे पहनने से कम से कम अांखों को कुछ तो सुरक्षा मिलेगी, इसलिए लोग किसी भी क्वालिटी का चश्मा खरीद लेते हैं, लेकिन सस्ता धूप का चश्मा पहनना अपकी आंखों को और नुकसान पहुंचा सकता है।अगर उनसे आपकी आंखों पर सिर्फ छाया होती है और हानिकारक किरणों यूवीए व यूवीबी से सुरक्षा नहीं मिलती हैं तो फिर ऐसे चश्मोंे के जरिए हानिकारक किरणें सीधे आपकी आंखों पर पड़ती हैं, जो बेहद हानिकारक हैं, इसलिए हमेशा बढ़िया क्वालिटी का ही धूप का चश्मा इस्तेमाल करें।--आईएएनएस
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