8 जनवरी, 2006 को मणिपुर में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए सहायक कमांडेंट सक्सेना वीरगति को प्राप्त हुए थे।
राज्यपाल ने शहीद सक्सेना को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मात्र 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने शहादत पाई। उनके साहस और वीरता के चलते उन्हें शौर्य चक्र और पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। यह सम्मान देश की ओर से उनके प्रति कृतज्ञता है। शहीदों की याद में स्मारक निर्माण करना देश सेवा का मंदिर बनाने जैसा है।उन्होंने कहा कि शहीदों के परिजन को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि वे अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा समाज और सरकार उनके साथ है। उन्होंने कहा कि राजभवन के दरवाजे शहीदों के परिजनों के लिए सदैव खुले हैं। सैनिकों के लिए देश की रक्षा करते हुए शहीद होने से बड़ा कोई अलंकार नहीं है। शहीदों का सम्मान करना नयी पीढ़ी के लिए अच्छा संस्कार है। उन्होंने कहा कि देश के लिये कुर्बानी देना ही हमारा कर्तव्य और सबसे बड़ा धर्म है।-- आईएएनस
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