नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले पर चिंता जताई जिसमें वोट के लिए धर्म और जाति के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। उसने दावा किया कि इस आदेश का 'दुरुपयोग' हो सकता है। दो जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय की एक सात सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा का दुरुपयोग होने नहीं दिया जाएगा और यदि पाया गया कि इन चीजों को ध्यान में रखकर वोट मांगा गया तो किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा।
जेआईएच के अध्यक्ष मौलाना सईद जलालुदीन उमरी ने कहा कि इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिस तरह से कुछ जातियों का दमन किया गया और अन्याय हुआ, उसके बारे में चुनावों के दौरान किस तरह से आवाज उठाई जाएगी।यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उमरी ने कहा, "इस फैसले में यह जवाब नहीं है कि किस तरह से किसी खास धार्मिक समुदाय के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने से जुड़ी शिकायतों का निवारण किया जाएगा।"--आईएएनएस
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