नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)| सरकार ने हाल ही में जीवनरक्षक उपकरण स्टेंट्स को दवा मूल्य नियंत्रण आदेश के अंतर्गत लाने की अधिसूचना जारी की है। इससे डिवाइस की कीमतें राष्ट्रीय फार्मास्यूटिक मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा नियंत्रित और निर्धारित की जाएंगी। हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेटहेल्थ) ने यह सुझाव दिया है कि स्टेंट की गुणवत्ता के मानकीकरण और विनियमन के लिए सरकार को एक हेल्थ टेक्नोलॉजी एसेसमेंट बोर्ड का गठन करने की जरूरत है।
नेटहेल्थ के अध्यक्ष राहुल खोसला का कहना है, "भारत की चिकित्सा प्रणाली विश्व की सबसे सस्ती प्रणालियों में से एक है, जो कि डिवाइसों और सेवाओं की लागत का संयोजन है। इस प्रकार की अधिसूचनाएं देश में 'मेक इन इंडिया' के आकर्षण को प्रभावित करती है।"नेटहेल्थ के महासचिव अंजन बोस ने कहा, "हाल ही में सरकार द्वारा मेडिकल टेक्नोलॉजी असेसमेंट बोर्ड (एमटीएबी) के गठन की सूचना की गई, जिसे भारत में स्टेंट की गुणवत्ता का मानकीकरण और विनियमन करने और बेहद जरूरी पारदर्शिता लाने में लंबा रास्ता तय करना होगा, जिससे ज्यादा उचित तरीके में मूल्य निर्धारण का मानकीकरण भी सक्षम होगा।"रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल विभाग ने 21 दिसंबर 2016 को कोरोनरी स्टेंट्स को दवा मूल्य नियंत्रण आदेश अनुसूची-1 में शामिल करने के लिये अधिसूचना जारी की है।नेटहेल्थ के अनुसार, भारत में लगभग 80 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएं निजी स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा प्रदान की जाती हैं। उच्च गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और विश्वसनीय रूप से मरीजों की देखभाल के समर्थक के रूप में, यह फेडरेशन ने यह चिंता व्यक्त की है कि यह अधिसूचना प्रणालीगत जटिलता आधारित चुनावों को प्रभावित कर सकती है और चिकित्सक के इलाज और मरीज दोनों के लिए।नेटहेल्थ के उपाध्यक्ष प्रोबीर दास का कहना है, "सरकार को जटिल कर संरचना के प्रभावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। हमें मूल्य निर्धारण को तर्कसंगत बनाने के लिए प्रस्तावित जीएसटी मॉडल का लाभ उठाना चाहिए और हमने सरकार से इस ओर भी उचित रूप से ध्यान देने का निवेदन किया है।'--आईएएनएस
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