यह आंकड़ा समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट द्वारा जारी किया गया है।
आंकड़ों से संकेत मिलता है कि 2016 में हर दिन औसतन 2.6 फीसदी लोग पुलिस की गोलियों का शिकार बने। हर दूसरे दिन एक से ज्यादा अश्वेत पुलिस की गोलीबारी का शिकार होकर मार डाले गए।इसके अलावा, 2016 में पुलिस द्वारा मौत की नींद सुला दिए गए हिस्पैनिक्स लोगों (लातिन अमेरिकी मूल के लोग) की संख्या 160 तक पहुंच गई।ये आंकड़े काफी ज्यादा हैं लेकिन फिर भी 2015 के मुकाबले कम हैं। 2015 में 172 हिस्पैनिक्स और 258 अश्वेतों के साथ कुल 991 लोगों ने पुलिस की गोलियों का शिकार होकर दम तोड़ दिया था।--आईएएनएस
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