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ददुआ चित्रकूट का डकैत या देवता?

चित्रकूट, Sun, 01 Jan 2017 IANS

चित्रकूट, 1 जनवरी (आईएएनएस/खबर लहरिया)। ददुआ चित्रकूट में जाना पहचाना एक ऐसा नाम है, जो सबकी जुबान पर चढ़ा है। पर उसको लेकर लोगों का कभी एक-सा मत नहीं रहा। कुछ लोग उसे 'गरीबों का रॉबिन हुड' कहते हैं, तो कुछ एक बड़ा शातिर अपराधी। इन सब बातों के बावजूद फतेहपुर के नरसिंहपुर कबराहा गांव में ददुआ का एक मंदिर है।

मंदिर में लगी मूर्ति और पुलिस के रिकॉर्ड में लगी फोटो के अलावा किसी ने ददुआ का चेहरा नहीं देखा है। ददुआ का असली नाम शिवकुमार पटेल है, जबकि उसे सब ददुआ के नाम से ही जानते हैं।

ददुआ इस इलाके का एक खौफनाक डकैत था, जिस पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पुलिस थाने में हत्या, डकैती और अपहरण के 400 मामले दर्ज थे। ऐसे खौफनाक डकैत के नाम पर भी मंदिर बनाने की वजह बताते हुए वहां उनका दर्शन करने आए हुए उमेश सिंह कहते हैं, "वह गरीबों के मसीहा थे। उन्होंने गरीबों की बेटियों और बहनों की रक्षा की थी।"

स्थानीय निवासी रनकुमार शर्मा कहते हैं, "इस इलाके में ददुआ को इस मूर्ति के अलावा कभी नहीं देखा। ददुआ गरीबों का कितना मददगार था और कितना खतरनाक था, ये सब बातें आंखों देखी नहीं हैं, बल्कि सुनी-सुनाई हैं।" रनकुमार इस मंदिर को ही ददुआ की कबराहा गांव को उसकी बड़ी देन मानते हैं।

इस मंदिर के निर्माण की कहानी भी एक फिल्मी कहानी की तरह है। स्थानीय निवासी विवेक कुमार बताते हैं कि ददुआ इस क्षेत्र में आता रहता था। ऐसे ही एक दिन वह यहां आया था, तो पुलिस को उसके यहां आने की खबर मिल गई। वह पुलिस से घिरे होने के बावजूद वहां से बच निकला। उसने मन्नत मांगी थी कि अगर यहां से सही-सलामत बच निकला तो यहां एक मंदिर बनवाएगा।

ददुआ का मंदिर बनना भी इतना आसान नहीं था। मंदिर के निर्माण के समय पटेल बहुल इस क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय ने विरोध किया था। ददुआ को राजनीति से भी समर्थन प्राप्त था। इसकी वजह उसके भाई बालकुमार पटेल रहे, जो समाजवादी पार्टी के सांसद रह चुके हैं और वह इस मंदिर के संचालक भी हैं। वहीं ददुआ के बेटे वीर सिंह मऊ मानिकपुर से विधायक हैं।

ददुआ की कहानी सुनने के बाद दिमाग में ये सवाल आना लाजमी है कि इतना रहस्यमय जीवन रखने वाला ददुआ आज कहां है? पर लोगों और पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार वह 2007 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया।

खैर, बुंदेलखंड में अपनी अलग सरकार चलने वाले ददुआ के नाम को जिंदा रखने के लिए उसके भाई और बेटे ने इस मंदिर का निर्माण किया है और इस मंदिर में लाखों की संख्या में लोग उनके दर्शन को आते हैं। वहीं पुलिस की फाइलों में ददुआ के अपराधों के कारनामे बंद हैं।

--आईएएनएस


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