चेन्नई, 28 दिसम्बर (आईएएनएस)| पूर्व केंद्रीय राजस्व सचिव एम.आर.शिवरमन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नकदी को कम करने के लिए केंद्र सरकार को एक निर्धारित समय के भीतर 2,000 रुपये तथा 500 रुपये के नोटों को वापस लेना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक का भी पदभार संभाल चुके शिवरमन ने यहां आईएएनएस से कहा, "देश की नकदी तथा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात 13 फीसदी है, जो निश्चित तौर पर सही नहीं है। इन वर्षो में देश की नकदी अर्थव्यवस्था पर किसी ने भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के खिलाफ नहीं बोला।"
शिवरमन ने कहा कि केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि 2,000 रुपये तथा 500 रुपये मूल्य के नोटों को वापस लिया जाएगा। इसका उद्देश्य नकदी तथा जीडीपी के अनुपात को तीन वर्षो के भीतर सात फीसदी तक लाना है।नोटबंदी का क्रियान्वयन सही ढंग से न करने की बात से सहमति जताते हुए शिवरमन ने कहा कि कम से कम अब केंद्र सरकार को सक्रिय व खुले तौर पर कदम उठाने चाहिए और राज्य सरकारों को विश्वास में ले।उनके मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा तथा केंद्र सरकार को सभी भुगतान चेक या किसी अन्य माध्यम से करना चाहिए, न कि नकदी के रूप में। इसी तरह सभी सार्वजनिक उपक्रमों को नकदी रहित होना चाहिए।शिवरमन ने कहा, "ग्रामीण इलाकों में नकदी की आपूर्ति बढ़ानी चाहिए, जबकि शहरी इलाकों में कम करनी चाहिए। शहरी इलाकों के लोगों के पास वित्तीय लेनदेन के लिए क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड, मोबाइल भुगतान तथा अन्य विकल्प हैं।"उन्होंने कहा, "सरकार को लोगों को बताना चाहिए कि वह नकदी तथा जीडीपी के अनुपात को सात फीसदी करने की दिशा में काम कर रही है। लोगों को यह भी बताना चाहिए कि नए 500 रुपये तथा 2,000 रुपये के नोटों को वापस ले लिया जाएगा और केवल 100 रुपये तथा अन्य कम मूल्य के नोट ही चलन में होंगे।"उनके मुताबिक, कार्य योजना की जानकारी लोगों को होनी चाहिए।--आईएएनएस
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