बांदा, 27 दिसंबर (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी के खाते में नोटबंदी के बाद जमा हुए 104 करोड़ के खुलासे के बाद राजनीतिक दलों के अलावा सामाजिक संगठन भी मायावती पर उंगली उठाने लगे हैं। बुंदेलखंड के एक ऐसे ही संगठन 'पब्लिक एक्शन कमेटी' (पीएसी) ने मंगलवार को कहा, "हर मामले में मायावती खुद को दलित की बेटी पेश करती हैं, लेकिन दलितों के प्रति गंभीर नहीं हैं। उन्हें यह करोड़ों रुपये गरीब दलितों के बीच बांट देना चाहिए।" गैर पंजीकृत संगठन 'पब्लिक एक्शन कमेटी' (पीएसी) की प्रमुख श्वेता ने मंगलवार को यहां जारी बयान में कहा, "नोटबंदी के बाद बहुजन समाज पार्टी के खाते में जमा हुए 104.36 करोड़ रुपये का हिसाब बहुजन समाज को दिया जाना चाहिए और यह रकम उन गरीब दलितों के बीच बांट दिया जाना चाहिए, जो गांव-देहात में एक-एक रुपये को तरस रहे हैं।
बसपा प्रमुख मायावती पर जब भी कोई गंभीर आरोप लगता है, तभी वह खुद को दलित की बेटी बताती हैं। क्या बहुजन की बहन जी यह बता सकती हैं कि देश के और किस दलित के खाते में इतनी रकम जमा है? श्वेता केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की इस बात से सहमत हैं कि दलित होने का मतलब भ्रष्टाचार में संलिप्तता का 'लाइसेंस' नहीं है।"अपने बयान में पीएसी प्रमुख ने कहा, "कुछ माह पूर्व बांदा जिले के ऐला गांव में भूख से हुई नत्थू दलित की मौत को राज्यसभा में मायावती ने भी मुद्दा बनाया था, लेकिन इस धनराशि का कुछ हिस्सा ही पीड़ित परिवार के पास भी पहुंचा दिया गया होता, तब भी बहन जी को दलित की बेटी मान लिया जाता। बसपा के खाते में जमा भारी भरकम रकम से प्रतीत होता है कि वह दलित नहीं दौलत की बेटी हैं।"गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच में नोटबंदी के बाद बसपा के दिल्ली के करोलबाग स्थित बैंक खाते में 104.36 करोड़ रुपये जमा किया जाना पाया गया है और मायावती ने मंगलवार को अपनी सफाई में नियमानुसार जमा करने की बात के अलावा भाजपा पर बसपा के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप मढ़ा है।--आईएएनएस
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