जकार्ता, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| इंडोनेशिया की एक अदालत ने मंगलवार को जकार्ता के गवर्नर के खिलाफ ईश निंदा का मुकदमा चलाने का निर्णय लिया। इस मामले में उन्हें पांच साल तक की सजा हो सकती है। एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश ड्वाएरसो बुडी सांतियातरे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसकी भूमिका यह बताने की नहीं है कि अभियुक्त बासुकी तजाहजा पुर्नामा दोषी हैं या नहीं। पीठ ने केवल इसकी औपचारिकताओं पर फैसला दिया है, मामले की वास्तविकता पर नहीं।
न्यायाधीशों ने मामले की सुनवाई को हरी झंडी दिखा दी। पीठ ने कहा कि आरोप कानून के दायरे में हैं और इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपों को दर्ज करने के लिए सबूत की जरूरत है।इस फैसले से न्यायाधीशों के निर्णय देने से पहले अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से प्रस्तावित प्रत्यक्षदर्शियों एवं विशेषज्ञों के गवाही का मार्ग प्रशस्त हो गया है।बासुकी चीनी मूल के ईसाई हैं और अहोक के रूप में जाने जाते हैं। उनके खिलाफ नवंबर में उनके द्वारा की गई टिप्पणियों को लेकर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। उन्होंने कुरान की आयत 51 पर आधारित विपक्ष द्वारा की गई आलोचना को खारिज कर दिया था।प्रारंभिक जांच के दौरान बासुकी ने दावा किया था कि जिस वीडियो में उन्हें ऐसे बयान देते दिखाया गया है, उससे छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने मुसलमानों की भावनाएं आहत करने के लिए माफी मांग ली थी।गवर्नर बासुकी फरवरी 2017 में फिर से निर्वाचित होना चाहते हैं। उन्होंने अपने निर्दोष होने की बात दोहराई है और उन बयानों के जरिए धर्म के अपमान करने का कोई इरादा होने से इनकार किया है। ये बयान एक प्रचार अभियान के दौरान सितम्बर में दिए गए थे।गवर्नर की उम्मीदवारी से मुसलमानों का विरोध भड़क गया। उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन, ईश निंदा का मुकदमा दर्ज होने और चुनावों में विपक्षी दलों के समर्थन से पहले से शुरू था।यह मामला सामने आने से पहले जनमत सर्वेक्षण में गवर्नर पद के लिए बासुकी पसंदीदा थे। इन्हें राष्ट्रपति जोको विडोडो का निकट सहयोगी माना जाता है। विडोडो ने विरोध प्रदर्शनों के लिए राजनीतिक हितों को जिम्मेदार ठहराया है।इंडोनेशिया को दुनिया भर में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी के लिए जाना जाता है। इसकी 25 करोड़ आबादी में से 88 प्रतिशत मुस्लिम हैं और अधिकतर नरमपंथी हैं।--आईएएनएस
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