भारत ने रक्षा के क्षेत्र में सोमवार को एक और बड़ी सफलता हासिल की। रक्षा के क्षेत्र भारत ने आज स्वदेशी तकनीक से विकसित अंतरमहाद्वीपीय सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के अंतिम परीक्षण में सफलता पाई है। ओडिशा प्रांत के बलासोर जिले में अब्दुल कलाम द्वीप में बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि इसे पूर्वाह्न् करीब 11.05 बजे मोबाइल लांचर के जरिये एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के कॉम्प्लेक्स-4 से छोड़ा गया। रक्षा आधिकारिक सूत्र ने कहा कि हम रडारों से जानकारी जुटाने के बाद परीक्षण की सफलता का आकलन कर रहे हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रक्षेपण सफल है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सफल प्रक्षेपण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को बधाई दी। मुखर्जी ने एक ट्वीट में कहा कि अग्नि-5 के सफलतापूर्वक परीक्षण के लिए बधाई। इससे हमारी सामरिक और प्रतिरोधक क्षमताओं में वृद्धि होगी।
इस मिसाइल का विकास डीआरडीओ ने एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत किया है। इंटर-कांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 में पूरे एशिया और यूरोप व अफ्रीका के कुछ हिस्सों को निशाना बनाने की क्षमता है।
अग्नि-5 एक उन्नत मिसाइल है। यह 5,000 हजार किमी से ज्यादा दूरी तक निशाना साधने में सक्षम है। यह 17 मीटर लंबी और 2 मीटर चैड़ी है, जबकि इसका वजन 50 टन है। मिसाइल एक टन से ज्यादा परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है।
अग्नि-5 के भारतीय सेना में शामिल हो जाने के बाद भारत आईसीबीएम समूह के विशिष्ट देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। इस श्रेणी में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं।
अग्नि-5 का पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को हुआ था। इसके बाद दूसरा परीक्षण 15 सितंबर, 2013 व तीसरा 31 जनवरी, 2015 को किया गया था।
स्रोत--आईएएनएस
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