हैदराबाद, 24 दिसम्बर (आईएएनएस)| देश में महिला साक्षरता दर अपेक्षाकृत कम होने पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को इस दिशा में नए सिरे से प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण तभी संभव होगा, जब वे अपनी पूरी क्षमता के साथ शिक्षा, आर्थिक आत्म-निर्भरता और अवसरों के प्रावधानों का उपयोग करने में पूरी तरह से समर्थ होंगीं।"
राष्ट्रपति ने हैदराबाद में महिला दक्षता समिति द्वारा स्थापित बंसीलाल मालिनी कॉलेज का उद्घाटन करते हुए कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भारत की औसत साक्षरता 74 प्रतिशत है, ऐसे में महिलाओं की साक्षरता दर 65 प्रतिशत से कम है।"उन्होंने कहा, "एक ऐसा समाज जो अपनी महिलाओं को सशक्त नहीं करता, उसका अंत एक हारे हुए समाज के रूप में होता है। इस दिशा में नए सिरे से गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।"राष्ट्रपति ने देश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की कमियों पर चिंता जताई।उन्होंने कहा, "देश में लगभग 24 लाख नर्सो की महत्वपूर्ण रूप से कमी है और इनकी संख्या में 2009 में 16.5 लाख थी 2015 में घटकर 15.6 लाख हो गई। यह एक चिंता का विषय है।"राष्ट्रपति ने कहा, "इसी प्रकार से, 5000 कस्बों और 6.4 लाख ग्रामों में रह रहे 130 करोड़ लोगों के देश के बुनियादी ढांचे में मात्र 1.53 लाख उप केंद्र, 85,000 पीएचसी और 5,000 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि इसमें मात्र सरकार ही नहीं, बल्कि सभी हितधारक भागीदार बनें।"देश के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में कमियों के बारे में उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र दीर्घकालीन समाधान निजी संस्थाओं के साथ-साथ सरकार और निजी हितधारकों से युक्त सहकारी अवसंरचनाओं का निर्माण करना है।उन्होंने कहा, "वास्तव में स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका आदि के विकासात्मक लक्ष्यों को केवल सरकार द्वारा ही प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस तरह की सहकारी संस्थाएं सभी के लिए प्रासंगिक हैं।"राष्ट्रपति ने महिला सशक्तीकरण में महिला दक्षता समिति द्वारा निभाई गई अहम भूमिका की सराहना की और समिति की संस्थापक सदस्यों गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा सहित सभी सदस्यों के योगदानों का भी स्मरण किया।--आईएएनएस
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