नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को देश के नए प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर तीन जनवरी, 2017 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
न्यायिक पारदर्शिता एवं सुधार के लिए राष्ट्रीय अधिवक्ता अभियान की ओर से दायर याचिका को न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव की अवकाश पीठ ने खारिज कर दिया।राष्ट्रीय अधिवक्ता अभियान का प्रतिनिधत्व कर रहे कई वकीलों ने अदालत को बताया कि खंडपीठ उन्हें बार-बार याद दिला रही है कि उनकी याचिका निष्फल हो गई है, क्योंकि न्यायाधीश खेहर की नियुक्ति की अधिसूचना 19 दिसंबर को जारी की गई थी।न्यायिक पारदर्शिता और सुधार के लिए राष्ट्रीय अधिवक्ता अभियान के अलावा इस याचिका का कई वकीलों ने भी समर्थन किया है।याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री को इस संबंध में मिली सलाहों पर विचार करे। याचिका में न्यायाधीश चेलामेश्वर को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।याचिका में कहा गया है कि पिछले 66 वर्ष में भारत में 43 मुख्य न्यायाधीश रहे और इनमें से कुछ का कार्यकाल 21 दिनों का भी रहा है।अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश चेलामेश्वर का पक्ष लेते हुए याचिकाकर्ता संस्था ने कहा कि वह कॉलेजियम के कामकाज में पारदर्शिता की वकालत करती है।इसके अलावा, न्यायिक पारदर्शिता और सुधारों के लिए राष्ट्रीय अधिवक्ता अभियान का कहना है कि न्यायाधीश चेलामेश्वर, खेहर से वरिष्ठ हैं। चेलामेश्वर 23 जून 1997 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे, जबकि खेहर आठ फरवरी 1999 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।याचिका के मुताबिक, न्यायाधीश खेहर को पदोन्नति देने की वजह से वह वरिष्ठ हो गए हैं।याचिका के मुताबिक, निस्संदेह खेहर सर्वोच्च न्यायालय के होनहार न्यायाधीशों में से एक है और उनकी ईमानदारी और निष्ठा पर कोई उंगली नहीं उठा सकता।--आईएएनएस
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