बीजिंग, 22 दिसम्बर (आईएएनएस)| दलाईलामा और मंगोलिया का चीन के खिलाफ इस्तेमाल करना भारत की क्षमता के बाहर की बात है। भारत को एक बिगड़ा हुआ बच्चा करार देते हुए चीन के एक अखबार ने यह लिखा है।
ऐसा लिखने वाले ग्लोबल टाइम्स अखबार को चीन सरकार के नेतृत्व की सोच को प्रदर्शित करने वाले के रूप में जाना जाता है। अखबार ने इस पर आश्चर्य जताया है कि जबकि अमेरिका चीन से संवेदनशील मुद्दों पर झमेला करने से पहले दो बार सोचता है तब भारत कैसे इतने विश्वास के साथ ऐसा करता है।भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ तिब्बत के आध्यात्मिक नेता की मुलाकात के बाद अखबार ने संपादीय पेज पर लेख में ऐसा कहा है।भारतीय राष्ट्रपति ने हाल में मंगोलिया की यात्रा की और दलाईलामा की मेजबानी की है। इस पर चीन ने दंड स्वरूप ट्रकों के किराए में बढ़ोतरी कर दी। इसके बाद भारत ने मंगोलिया को आर्थिक सहायता देने की बात भी कही है।वेन दाओ के ग्लोबल टाइम्स में लिखे इस लेख में कहा गया है, भारत ने लंबे समय से दलाईलामा मुद्दे को रखा है जैसे कि वह चीन के खिलाफ इससे लाभ उठा सकता है। मुखर्जी की इस माह भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे तिब्बत के आध्यात्मिक नेता से मुलाकात, संभवत: मंगोलिया को एक नैतिक समर्थन है जो नवंबर में दलाईलामा की अगवानी कर खुद कूटनीतिक संकट में फंसा हुआ है।वेन ने लिखा है भारत चीन की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का लाभ उठाकर चीन की विकास की गति को बाधित करना चाहता है। इन समस्याओं में से अधिकांश से भारत के राष्ट्रीय हितों से कोई लेना-देना नहीं है।इसमें कहा गया है कि भारत ने बदले के कदम के रूप में समय-समय पर दलाईलामा कार्ड का इस्तेमाल किया है।दलाईलामा तिब्बत से भागने के बाद 1959 से भारत में रह रहे हैं।ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि मंगोलिया ने चीन के पक्ष से सहमति जताई है और दलाईलामा की मेजबानी के लिए खेद जताया है। यह भारत के एक अरब डॉलर कर्ज की पेशकश से पहले हो चुका है।मंगोलिया भारत का समर्थन पाने की कोशिश कर रहा है और उम्मीद कर रहा है कि चीन के प्रतिस्पर्धी के साथ मिलने से चीन उसकी बात मानने के लिए मजबूर हो जाएगा।अखबार ने लिखा है कि भारत अमेरिका-ताइवान संपर्क पर चीन के रुख से सबक ले। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने ताईवान की राष्ट्रपति साई इन वेंग के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी।इसमें कहा गया कि भारत कभी-कभी एक बिगड़े बच्चे की तरह व्यवहार करता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के ताज को दूर रख देता है। भारत में एक महान देश बनने की क्षमता है लेकिन देश का नजरिया अदूरदर्शी है।--आईएएनएस
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