इस्लामाबाद, 18 अक्टूबर: पाकिस्तानी सांसदों ने 46 अरब डॉलर की लागत वाली चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को लेकर आशंका जताई है।
उनका कहना है कि यदि देश के हितों की रक्षा नहीं की गई तो सरकार जिसे आमूल परिवर्तन करने वाला बता रही है, वही दूसरी ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में बदल सकती है।
योजना एवं विकास पर सीनेट की स्थायी समिति के अध्यक्ष ताहिर मशहादी के हवाले से सोमवार को डॉन ऑनलाइन ने कहा है, "समुद्र के किनारे एक और ईस्ट इंडिया कंपनी है..राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं की जा रही है।"
समिति के कुछ सदस्यों ने जब इस पर चिंता जताई कि सरकार पाकिस्तान की जनता के अधिकारों एवं हितों की रक्षा नहीं कर रही है, तो मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के मशहादी ने कहा, "हमें पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती पर गर्व है, लेकिन देश हित सबसे पहले आना चाहिए।
"ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के लिए ब्रिटेन का अभियान था। यह कंपनी इस उपमहाद्वीप में ब्रिटिश उपनिवेश की मौजूदगी की प्रणेता बनी। तब देश पर शासन कर रहे मुगलों का तख्ता पलट कर खुद सत्ता पर काबिज हो गई।
योजना आयोग के सचिव यूसुफ नदीम खोखर के विवरण देने के बाद समिति के सदस्यों ने कहा कि सीपीईसी की योजनाओं के लिए चीन से या किसी और विदेशी निवेश से धन जुटाने के बजाय स्थानीय धन के इस्तेमाल को लेकर उन्हें डर है।उन्होंने सीपीईसी से जुड़ी बिजली परियोजनाओं के लिए चीन द्वारा दर तय करने को लेकर भी चिंता जताई।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सीनेट सदस्य सईदुल हसन मंडोखइल ने भी समिति के सदस्यों के विचारों का समर्थन किया। सत्तारूढ़ पार्टी के वह एकमात्र सदस्य थे, जो बैठक में मौजूद थे।इस बैठक में बताया गया कि सीपीईसी का अधिकांश भाग चीन के निवेश पर नहीं, स्थानीय वित्त पर निर्भर है।मशहादी ने कहा, "यदि हमलोगों को पूरा आर्थिक बोझ ढोना पड़ गया तो यह हम लोगों के लिए बहुत नुकसानदेह होगा।
यह परियोजना राष्ट्रीय विकास होगी या विपदा? चीन से जो भी कर्ज लिया जाएगा, उसे पाकिस्तान की गरीब जनता को देना होगा।"सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं की स्थिति का उल्लेख करते हुए योजना आयोग के सचिव ने कहा कि मतियारी-"लाहौर संचरण लाइन परियोजना रद्द नहीं की गई है और उसके चीनी प्रायोजक उस पर काम कर रहे हैं।
"पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीएमएपी) से सीनेट के सदस्य उस्मान खान काकर ने कहा कि ग्वादर में जो बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, उनका लाभ स्थानीय समुदाय को नहीं, केवल चीन और पंजाब सरकार को मिलेगा।उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान की जनता को केवल इससे जलापूर्ति होगी। सीपीईसी के तहत इस प्रांत के लिए बिजली या रेलवे की कोई परियोजना नहीं बनाई गई है।इस बैठक में योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल मौजूद नहीं थे।
जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख और सीनेटर सिराजुल हक ने कहा कि संघीय प्रशासन वाले कबाइली क्षेत्र फाटा और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सीपीईसी में अनदेखी की गई है।उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों के लिए इसमें कुछ भी नहीं है। उन्होंने मुजफ्फराबाद को सीपीईसी से जोड़ने के लिए 35 किलोमीटर सड़क बनाने का सुझाव दिया।
(आईएएनएस)
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