इस समझौते के तहत पेरिस के बाद मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन किया गया है, जिसमें ग्लोबल वार्मिग पर रोक के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसीस) गैसों की कटौती पर ध्यान दिया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञों के अनुसार, एचएफसी पदार्थो का इस्तेमाल आमतौर पर रेफ्रिजिरेटरों और एयर-कंडीशन वाले उपकरणों में होता है और इसका ग्लोबल वार्मिग प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 15,000 गुना ज्यादा होता है। इसके साथ ही ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन के लिए ये मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं।मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में हुए सफल संशोधन पेरिस समझौते के प्रति लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धिता को दर्शाता है।एक सप्ताह तक चली लंबी चर्चा के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के नेताओं तथा 200 देशों के ओजोन संरक्षण एवं कार्बन के विकास में कमी के विशेषज्ञों ने इस समझौते के लिए मंजूरी दी।रवांडा की राजधानी किगाली में आठ से 14 अक्टूबर तक '28 मीटिंग ऑफ पार्टिज टु द मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (एमओपी-28)' की उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। इसका लक्ष्य मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के संशोधन के लिए एक वैश्विक समझौते तक पहुंचना था, जिससे हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसीस) गैसों में कटौती की जाए।--आईएएनएस
|
Comments: