जोधपुर, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)| इसे पश्चिमी संगीत या बॉलीवुड के आकर्षण का प्रभाव कह सकते हैं कि लोक संगीतों की लोकप्रियता लुप्त होती जा रही है। मेहरानगढ़ संग्रहालय के पूर्व क्यूरेटर और राजस्थान सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्मा का कहना है कि छोटी आयु से ही बच्चों को लोक संगीत की ओर आकर्षित करने के लिए विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में कला के विभिन्न स्वरूपों को शामिल करने की जरूरत है। मेहरानगढ़ के किले में चल रहे राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव (आरआईएफएफ) 2016 के दौरान 81 वर्षीय विजय ने इस उत्सव की प्रासंगिकता के बारे में आईएएनएस को बताया, "वे उद्देश्य की सेवा करते हैं, लेकिन पूरे उद्देश्य की सेवा नहीं करते हैं। सारे लोक संगीत चाहे वह भारत के हों या पश्चिम के, विशेष रूप से पूर्वी यूरोप के वे संकट में हैं। संकट की बात यह है कि जिन चीजों को पर्यावरण ने लेकर आने की अनुमति दी वह अब बिखर रही है।"
उन्होंने कहा कि जब तक नए दर्शक या ग्राहक नहीं मिलते हैं, उनके विचार से यह सब बर्बाद हो रहा है और अगले 40 से 50 सालों में यह गायब हो जाएगा।एक सेवानिवृत्त आईएस अधिकारी जो कि एक पूर्व रजिस्ट्रार जनरल व जनगणना आयुक्त हैं, उन्होंने राजस्थान की विरासत पर पुस्तकें लिखी हैं।उन्हें लगाता है कि शहरी आबादी पर तेज संगीत, फास्ट फूड, मनोरंजन का असर होने लोगों के पास लोक संगीत के मायने समझने के लिए समय है।वर्मा के मुताबिक, लोक संगीत को व्यापक स्तर पर प्रचारित करते हुए इस तरह के कार्यक्रम गावों और आदिवासी इलाकों में नए दर्शकों को आकर्षित करने के लिए आयोजित किए जाने चाहिए।वर्मा ने कहा कि वह निजी तौर पर लोक कलाकारों को भविष्य को लेकर आशावादी नहीं हैं, क्योंकि मुंबइया फिल्मों व टीवी के जरिए युवा पीढ़ी को गुमराह किया जा रहा है।यह पूछे जाने पर कि क्या फिल्म संगीत लोक संगीत को किसी न किसी रूप में बढ़ावा नहीं देता तो उन्होंने कहा कि हां, थोड़ा मदद करता है 'हम दिल दे चुके सनम' के नींबूरा गाने को हालांकि अलग स्वरूप में फिल्माया गया, लेकिन इसे अद्भुत पैमाने पर किया जाना चाहिए था।--आईएएनएस
|
Comments: