नई दिल्ली, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)| ग्रीनपीस की एक रपट में शुक्रवार को कहा गया कि भारत में हर साल वायु प्रदूषण के कारण कम से कम छह लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान है। इसमें जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल एक बड़ी भूमिका निभाता है। रपट के अनुसार, वायु प्रदूषण से हर साल भारत और चीन में 1.6 अरब से ज्यादा लोग मरते हैं। इसकी वजह जीवाश्म ईंधन, खास तौर से कोयले का बढ़ता इस्तेमाल है।
रपट में कहा गया है कि वैश्विक 65 लाख मौतों में से 34 लाख मौतें भारत और चीन में साल 2015 में वायु प्रदूषण से हुईं।ग्रीनपीस के कोयला एवं वायु प्रदूषण के जानकार लौरी माईलिविट्रा ने कहा, "लगातार जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से भारत और चीन समृद्ध अर्थव्यवस्था के फायदे की वजह से इनकार करते हैं।"साल 2015 में भारत में मरने वालों की संख्या 1,809,053 और चीन में यह संख्या 1,587,840 रही।माईलिविट्रा ने कहा कि देश जैसे धनी होते जाते हैं, वे सामान्यतया कम प्रदूषित उद्योगों को विकसित करते है। लेकिन भारत और चीन के मामले में यह प्रवृत्ति काफी विपरीत है।माईलिविट्रा ने कहा, "आर्थिक वृद्धि के बावजूद दोनों देशों में हवा की गुणवत्ता खास तौर से खराब है।"भारत में 60 प्रतिशत से ज्यादा बिजली की मांग कोयला आधारित ताप संयंत्रों के इस्तेमाल से पूरी की जाती है।रपट में कहा गया है कि भारत में होने वाली वास्तविक मौतों की संख्या 18 लाख और चीन में 15 लाख है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर आधारित मौतों की संख्या भारत और चीन में गणना के अनुसार 12 लाख और क्रमश: 558,000 है।--आईएएनएस
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