नोटबंदी से लोगों को हो रही परेशानियों को मद्देनजर गुरूवार को अखिल भारतीय किसान सभा ने केन्द्र सराकर पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि नोटबंदी से हो रही परेशानियों को खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाएं या प्रधानमंत्री अपना इस्तीफा दें।
अखिल भारतीय किसान सभा ने अपने एक बयान में कहा कि नोटबंदी से निपटने के लिए जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक लोगों को पुराने नोटों को चलन में लाएं ताकि जनता को हो रही परेशानियों से निजात मिल सके।
नोटबंदी पर आक्रोश व्यक्त करते हुए अपने बयान में कहा कि बैंकों या एटीएम से पैसे निकालने पर लगी सभी पाबंदियों को सरकार को हटा देना चाहिए या तो पीएम मोदी को इस्तीफा दे देना चाहिए।
पीएम के इस फैसले को उद्योगपतियों को बचाने के लिए एक पुर्वनियोजित कदम करार देते हुए कहा कि सरकार इस फैसले से काॅरपोरेट घरानों को बचाने का काम कर रही है। नोटबंदी का उद्देश्य न तो काले धन पर लगाम लगाना है और न तो देश को नकदी रहित समाज में तब्दील करना है, जैसा कि मोदी ने दावा किया है।
बढ़ते ऋण के कारण सरकारी बैंक के सामने भी गंभीर संकट खडी हो गई है। एआईकेएस ने दावा किया है कि 240 कॉरपोरेट संस्थान या शीर्ष 500 कंपनियों में से 48 फीसदी के पास 12.4 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, जिसके कारण वे सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेस्ड एसेट्स (एस4ए) योजना से बाहर निकलने के खतरे का सामना कर रहे हैं।
बयान में कहा क बीते 21 दिनों में आम जनों ने सरकारी बैंकों में 9.35 लाख करोड़ रुपये जमा कराए हैं। बैंक कर्मचारियों का मानना है कि रद्द हो चुकी लगभग 90-95 फीसदी करेंसी बैंकों में जमा होंगे।
एआईकेएस ने कहा कि सरकार आम जनों का पैसे देने को तैयार नहीं है, जबकि दूसरी ओर वह कॉरपोरेट घरानों के ऋण माफ कर रही है। इसके साथ ही आम जनता आर्थिक व वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं और लोगों को इसके तत्काल अंत होने की उम्मीद नहीं है।
एआईकेएस ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का देश के वित्तीय प्रबंधन पर नियंत्रण समाप्त हो गया है।
स्रोत- आईएएनएस
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